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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2696
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसन्धान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।

उत्तर -

पद्धतिपरक (विधिपरक ) अनुसन्धान
(Methodological Research)

पद्धतिपरक या विधिपरक अनुसन्धान को विधि अनुस्थापित अनुसन्धान (Method oriented research) भी कहते हैं। इस अनुसन्धान का जैसा नाम है वैसा ही इसमें अनुसन्धान कार्य किया जाता है। यह वह अनुसन्धान है जिसके द्वारा किसी अनुसन्धान विधि को वैज्ञानिक बनाया जाता है। अध्ययन विधि को वैज्ञानिक बनाने के लिए मापन सम्बन्धी वैज्ञानिक उपाय किये जाते हैं अथवा गणित और सांख्यिकीय के सिद्धान्तों को प्रदत्त संग्रह और प्रदत्त विश्लेषण अथवा उपयोगी बनाकर अध्ययन विधि को वस्तुनिष्ठ और वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है।

गॉल्टन (Fransis Galton ), थर्सटन ( LL. Theurstone), गिलफोर्ड (J.P. Guilford) आदि मनोवैज्ञानिकों ने विधिपरक अनुसन्धानों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनके योगदानों के कारण ही मनोविज्ञान की अध्ययन विधियाँ अपेक्षाकृत अधिक वैज्ञानिक बनी हैं। इन मनोवैज्ञानिकों के योगदान के कारण ही सामाजिक मनोवैज्ञानिक अनुसन्धान अधिक वैज्ञानिक हुआ है।

पद्धतिपरक अनुसन्धान की परिभाषा
(Definition of Methodological Research)

करलिंगर (1978) के अनुसार, “विधिपरक अनुसन्धान वह वैज्ञानिक अनुसन्धान है जिसमें मापन, गणित और सांख्यिकीय के सिद्धान्त और व्यावहारिक पक्षों का उपयोग प्रदत्त संग्रह और विश्लेषण के लिए किया जाता है। "

उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पद्धतिपरक अनुसन्धान एक अति महत्वपूर्ण अनुसन्धान यह एक प्रकार का नियन्त्रित अनुसन्धान है जिसमें किसी विधि से आँकड़ों का संग्रह करने के लिए अथवा आँकड़ों का विश्लेषण करने के लिए वस्तुनिष्ठ मापन, गणित और सांख्यिकीय के व्यवहारपरक पक्षों से सम्बन्धित सिद्धान्तों का उपयोग किया जाता है। पद्धतिपरक अनुसन्धान के द्वारा सूक्ष्म उन्नति अनुसन्धान रणनीति (Sophisticated research strategy) को इस प्रकार विकसित किया जाता है कि एक अध्ययन विधि विशेष से वैज्ञानिक ढंग से सच्चे आँकड़े प्राप्त किये जा सके। गणित और सांख्यिकीय विधियों की सहायता से आँकड़ों का विश्लेषण किया जा सके जिससे कि उस विधि विशेष द्वारा उच्च स्तर का वैज्ञानिक शोध कार्य किया जा सके। उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि पद्धतिपरक अनुसन्धान के द्वारा किसी भी अनुसन्धान विधि में इस तरह परिवर्तन या परिमार्जन किया जाता है कि एक विधि विशेष से वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन सम्भव हो सके। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि पद्धतिपरक अनुसन्धान वह अनुसन्धान है जिसके द्वारा किसी भी अध्ययन विधि को वैज्ञानिक रूप दिया जाता है। अध्ययन विधि को वैज्ञानिक रूप देने में मापन गणित और सांख्यिकीय सिद्धान्तों का सहारा लिया जाता है।

पद्धतिपरक अनुसन्धान के क्षेत्र
(Areas of Methodological Research)

इस प्रकार का अनुसन्धान करना हर एक अनुसन्धानकर्ता के बस की बात नहीं है। इस प्रकार का अनुसन्धान करने के लिए अनुसन्धानकर्ता का विधिपरक वैज्ञानिक (Methodologist) होना आवश्यक है। विधिपरक वैज्ञानिक वही अनुसन्धानकर्ता हो सकता है जिसे मापन के क्षेत्र में अथवा गणित के क्षेत्र में अथवा सांख्यिकीय के क्षेत्र में इनके व्यावहारिक पक्षों का विशेष ज्ञान हो। मनोविज्ञान के क्षेत्र में यदि देखा जाये तो मनोवैज्ञानिक मापन (Psychological Measurement) के क्षेत्र में अनेक ऐसे अनुसन्धान कार्य हुए हैं जो पद्धतिपरक अनुसन्धान के अन्तर्गत आते हैं अथवा इन अनुसन्धानों से पद्धतिपरक अनुसन्धानों को करने में सहायता मिली है। मनोवैज्ञानिक मापन के क्षेत्र में मापनीकरण (Scaling), पर निर्माण ( Item Construction), पद विश्लेषण (Item Analysis) के क्षेत्र में व्यावहारिक सांख्यिकीय के सिद्धान्तों का उपयोग करके इन्हें अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है जिससे मनोवैज्ञानिक परीक्षणों और मनोवैज्ञानिक मापनियाँ अधिक वैज्ञानिक ढंग से बनने लग गयी हैं। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की विश्वसनीयता और वैधता ज्ञात करने के क्षेत्र में भी गणितीय और सांख्यिकीय सूत्रों का ऐसा उपयोग हुआ है जिससे मनोवैज्ञानिक परीक्षण को अधिक विश्वसनीय और वैध बनाया जाना सम्भव हो सका है।

आधुनिक युग में मनोविज्ञान के क्षेत्र में सामाजिक वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में आधुनिक गणित के सिद्धान्तों का उपयोग हुआ है। इस दिशा में हुए पद्धतिपरक अनुसन्धानों के कारण मनोविज्ञान की एक नयी शाखा का जन्म हुआ है। इस नयी मनोविज्ञान की शाखा का नाम गणितीय मनोविज्ञान (Mathematcial psychology) है। आज अनुसन्धान के क्षेत्र में सामान्य सम्भावना सिद्धान्त (Normal probability theory) के उपयोग का बहुत अधिक महत्व है। बहुचर विश्लेषण (Mativariate analysis) के क्षेत्र में मैट्रिक्स सिद्धान्त (Matrix theory) का सफल उपयोग होने लगा है। इसी प्रकार से गणित की शाखा (Linear programming के द्वारा जटिल शैक्षिक समस्याओं का समाधान सम्भव हुआ है। विधिपरक अनुसन्धान के द्वारा प्रदत्त संकलन की विधियों और प्रदत्त विश्लेषण की विधियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन और परिमार्जन कर इनको वैज्ञानिक बनाया गया है। साक्षात्कार, अनुसूची अन्तर्वस्तु विश्लेषण (content analysis), प्रतिचयन की विधियाँ, नियन्त्रित निरीक्षण के क्षेत्र में विधिपरक अनुसन्धानों के कारण महत्वपूर्ण क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं जिनसे इस दिशा में वैज्ञानिक अध्ययन करना सम्भव हो गया है।

पद्धतिपरक अनुसन्धान के कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्न प्रकार से हैं-

(1) मापन तथा परिमापन (Measurement and quantification)।
(2) प्रदत्त संग्रह तथा प्रदत्त विश्लेषण सम्बन्धी अनुसन्धान (Investigation of methods of data collection and analysis)।
(3) अनुसन्धान प्रदत्तों का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन (Objective evaluation of research data)।
(4) अन्तर सांस्कृतिक अनुसन्धान (Cross cultural research)।

पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रायोगिक अनुसन्धान में समानता और अन्तर
( Similarity and Difference between Methodological Research and Experi- mental Research)

पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रायोगिक अनुसन्धान में समानता भी है और अन्तर भी है। दोनों प्रकार के अनुसन्धानों में समानता के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख बिन्दु अग्रलिखित प्रकार से हैं-

(1) पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रयोगात्मक अनुसन्धान दोनों में ही अनुसन्धान समस्या का समाधान अनुसन्धानकर्ता करता है।
(2) पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रयोगात्मक अनुसन्धान दोनों में ही वैज्ञानिक विधि के सिद्धान्तों के उपयोग पर बल दिया जाता है। प्रयोगात्मक अनुसन्धान सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक विधि अर्थात् प्रयोगात्मक विधि के द्वारा किया जाता है।
(3) पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रयोगात्मक अनुसन्धान में ही नियन्त्रण को महत्व दिया जाता है।

पद्धतिपरक अनुसन्धान और प्रयोगात्मक अनुसन्धान में अन्तर सम्बन्धी कुछ प्रमुख बिन्दु निम्न प्रकार से हैं-

(1) पद्धतिपरक अनुसन्धान में किसी अध्ययन पद्धति विशेष को वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है, जबकि दूसरी ओर प्रयोगात्मक अनुसन्धान पहले से ही सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित होता है।
(2) पद्धतिपरक अनुसन्धान में किसी अध्ययन विशेष को इस प्रकार वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है कि कार्यकारण सम्बन्ध का अध्ययन हो सके दूसरी ओर प्रयोगात्मक अनुसन्धान में कार्यकारण सम्बन्ध का अध्ययन करने की पहले से ही सुविधा है।
(3) पद्धतिपरक अनुसन्धान के द्वारा किसी अध्ययन विधि को वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है, दूसरी ओर प्रयोगात्मक अनुसन्धान पहले से ही मान्य सर्वश्रेष्ठ विधि पर आधारित होता है।
(4) विधिपरक अनुसन्धान में किसी भी अनुसन्धान विधि को वैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया जाता है, जबकि प्रयोगात्मक अनुसन्धान में विभिन्न चरों का कार्यकारण सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है।
(5) पद्धतिपरक अनुसन्धान में किसी विधि के दोषों को दूर कर वैज्ञानिक बनाया जाता है, जबकि प्रयोगात्मक अनुसन्धान में प्रयुक्त होने वाली प्रयोगात्मक विधि पहले से ही अपेक्षाकृत अधिक दोषमुक्त है।
(6) प्रयोगात्मक अनुसन्धान से प्राप्त परिणामों में भविष्य कथन की योग्यता (Pridiction power) होती है, जबकि विधिपरक अनुसन्धान के द्वारा किसी भी अध्ययन विधि को सशक्त बनाकर     इस ध्येय की प्राप्ति के लिए प्रयास किया जाता है।
(7) प्रयोगात्मक अनुसन्धान से प्राप्त निष्कर्षों और परिणामों के आधार पर नियमों और सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है, जबकि विधिपरक अनुसन्धान में मापन, गणित और सांख्यिकीय नियमों और सिद्धान्तों का व्यावहारिक उपयोग करते हुए इतना सशक्त बनाने का प्रयास किया जाता है कि इस विधि विशेष के अध्ययनों के आधार पर नियमों और सिद्धान्तों का प्रतिपादन हो     सके।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- अनुसंधान की अवधारणा एवं चरणों का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- अनुसंधान के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये तथा तथ्य व सिद्धान्त के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- शोध की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- शोध के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  6. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  8. प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- शोध से क्या आशय है?
  10. प्रश्न- शोध की विशेषतायें बताइये।
  11. प्रश्न- शोध के प्रमुख चरण बताइये।
  12. प्रश्न- शोध की मुख्य उपयोगितायें बताइये।
  13. प्रश्न- शोध के प्रेरक कारक कौन-से है?
  14. प्रश्न- शोध के लाभ बताइये।
  15. प्रश्न- अनुसंधान के सिद्धान्त का महत्व क्या है?
  16. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के आवश्यक तत्त्व क्या है?
  17. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ लिखो।
  18. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण बताओ।
  19. प्रश्न- गृह विज्ञान से सम्बन्धित कोई दो ज्वलंत शोध विषय बताइये।
  20. प्रश्न- शोध को परिभाषित कीजिए तथा वैज्ञानिक शोध की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
  21. प्रश्न- गृह विज्ञान विषय से सम्बन्धित दो शोध विषय के कथन बनाइये।
  22. प्रश्न- एक अच्छे शोधकर्ता के अपेक्षित गुण बताइए।
  23. प्रश्न- शोध अभिकल्प का महत्व बताइये।
  24. प्रश्न- अनुसंधान अभिकल्प की विषय-वस्तु लिखिए।
  25. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के चरण लिखो।
  26. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के उद्देश्य क्या हैं?
  27. प्रश्न- प्रतिपादनात्मक अथवा अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना से आप क्या समझते हो?
  28. प्रश्न- 'ऐतिहासिक उपागम' से आप क्या समझते हैं? इस उपागम (पद्धति) का प्रयोग कैसे तथा किन-किन चरणों के अन्तर्गत किया जाता है? इसके अन्तर्गत प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख स्रोत भी बताइए।
  29. प्रश्न- वर्णात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  30. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध अभिकल्प क्या है? इसके विविध प्रकार क्या हैं?
  31. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा सीमाएँ बताइए।
  32. प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसंधान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।
  33. प्रश्न- क्षेत्र अनुसंधान से आप क्या समझते है। इसकी विशेषताओं को समझाइए।
  34. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की गुणात्मक पद्धति का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के गुण लिखो।
  38. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के दोष बताओ।
  39. प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान के दोष बताओ।
  40. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन और सर्वेक्षण अनुसंधान में अंतर बताओ।
  41. प्रश्न- पूर्व सर्वेक्षण क्या है?
  42. प्रश्न- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक सर्वेक्षण का अर्थ लिखो।
  43. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ बताकर इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- सर्वेक्षण शोध की उपयोगिता बताइये।
  45. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति कीक्या उपयोगिता है? सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति की क्या उपयोगिता है?
  47. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न गुण बताइए।
  48. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण तथा सामाजिक अनुसंधान में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या सीमाएँ हैं?
  50. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या उपयोगिता है?
  52. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की विषय-सामग्री बताइये।
  53. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में तथ्यों के संकलन का महत्व समझाइये।
  54. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख चरणों की विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुसंधान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसंधान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?
  56. प्रश्न- शोध समस्या के चयन एवं प्रतिपादन में प्रमुख विचारणीय बातों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
  59. प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
  60. प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
  61. प्रश्न- अनुसंधान समस्या के प्रकार बताओ।
  62. प्रश्न- शोध समस्या किसे कहते हैं? शोध समस्या के कोई चार स्त्रोत बताइये।
  63. प्रश्न- उत्तम शोध समस्या की विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
  65. प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
  66. प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
  67. प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
  68. प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
  69. प्रश्न- परिकल्पना की अवधारणा स्पष्ट कीजिये तथा एक अच्छी परिकल्पना की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  70. प्रश्न- एक उत्तम शोध परिकल्पना की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- उप-कल्पना के परीक्षण में होने वाली त्रुटियों के बारे में उदाहरण सहित बताइए तथा इस त्रुटि से कैसे बचाव किया जा सकता है?
  72. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  73. प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
  74. प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- उपकल्पना की परिभाषाएँ लिखो।
  77. प्रश्न- उपकल्पना के निर्माण की कठिनाइयाँ लिखो।
  78. प्रश्न- शून्य परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
  79. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  80. प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
  81. प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
  82. प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
  83. प्रश्न- महत्वशीलता स्तर या सार्थकता स्तर (Levels of Significance) को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइए?
  84. प्रश्न- शून्य परिकल्पना में विश्वास स्तर की भूमिका को समझाइए।

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